कहाँ गए सब चौकीदार?
चुनाव चले गए
तो ये चौकीदार भी सो गए क्या?
कहाँ था चौकीदारों का सरदार
जब यूनिवर्सिटी में गुंडे घुस आए थे?
ओ अच्छा, सही बताया सर आपने
सारे चौकीदार गेट के बाहर ही तो खड़े थे,
खाकी वर्दी में।
अंदर गुंडे ही तो थे,
लाठियां ही तो लेकर आए थे।
बस, उसमें क्या गलत है?
कोई नारे तो नहीं लगाए ना?
प्रधान मंत्री से, सरकार से
कोई सवाल तो नहीं पुछा ना?
बस वो अंदर घुस आए,
छात्रों को पीटकर चले गए।
इसलिए ही तो सरकारी चौकीदार बाहर गेट पर पहरा दे रहे थे।
ताकि अंदर जो नेक काम हो रहा था
वो बिना रोकटोक चलता रहे।
ठीक ही तो है,
वैसे पुलिस को अंदर जाने की परमिशन भी तो नहीं दी थी अमित शाह ने।
हाँ, वो बात अलग है,
जब राष्ट्रवाद खतरे में हो,
तब परमिशन लेने की कोई जरूरत नहीं।
जब तानाशाही का,
सांप्रदायिकता का
कोई विरोध करे
तब तो देश खतरे में है,
तब ये चौकीदार नहीं रुकेंगे,
कैंपस में,
हॉस्टल में,
लाइब्रेरी में,
अंदर घुसके मारेंगे इन देशद्रोहियों को।
सॉरी, मारेंगे नहीं
मारा है।
UP में, मंगलौर में मारा है,
दिल्ली में भी अच्छी-खासी दूकान चल रही है।
और जहां कुछ लोग नकाब पहनकर,
लाठी लिए वही काम कर रहे हो
वहां इस पुलिस का,
इन चौकीदारों का क्या काम?
– उन सभी लोगो को समर्पित जो खुद को चौकीदार कहते हैं। सुना है ऐसे कुछ लोगों ने सरकार भी बनाई हैं।